Monday, September 27, 2010

Menhga Ishq

मंहगा इश्क

एक सख्त बाप की सख्ती का
टायं-टायं फिस्स हो गया
उसी की बेटी शिखा का
किसी से इश्क हो गया
वो छोड़ा था पूरा मुम्बैया
नाम था उसका मिस्टर कन्हैया
एक दिन बड़े प्यार से उसने अपनी महबूबा से कहा की
तेरे घर के आगे एक घर बनाऊंगा शिखा
लड़की का बाप यह सुन बोल उठा की
बेटा घर बनाना तो दूर, पहले प्लाट तो ले के दिखा

Menhga Ishq

ek sakht baap ki sakhti ka
taany-taany fiss ho gaya
usi ki beti sikha ka
kisi se ishq ho gaya
wo chhoda tha poora mumbaiya
naam tha uska mister kanhaiya
ek din bade pyar se usne apni mehbooba se kaha ki
tere ghar ke aage ek ghar banaunga sikha
ladki ka baap yeh sun bol utha ki
beta ghar banana to door, pehle plot to le ke dikha

1 comment:

  1. हाय रे ज़माने वाले, उफ़ इश्क पे तेरा ये व्यंग;
    कितनी जद्धो जिहद होती है इश्क में;
    माशूका का रूठ जाना, उसकी सहेलियों से आँख चुराना;
    दोस्तों की रुस्वाइयां, और ऊपर से रात की तन्हाइयां;
    कोई जाने, बुझे ये दर्द हमारे संग;
    हाय रे ज़माने वाले, उफ़ इश्क पे तेरा ये व्यंग!
    वो सर्द आँहें, वो नर्म उसकी बाहें;
    किस्सा वो खिड़की वाला, कभी उसके भाई ने धमका डाला;
    कितने आइसक्रीम हमने साथ में थे चुसे, हाय! कितने दर्दीले थे वो घूंसे,
    कितनी जद्धो जिहद होती है इश्क में, कोई हमसे पूछे;
    हे आदित्य भाई, इश्क पे तुम्हारी कटाक्ष से हूँ मैं दंग;
    हाय रे ज़माने वाले, उफ़ इश्क पे तेरा ये व्यंग.

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